प्रयागराज । स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, प्रयागराज के डॉक्टरों ने न्यूनतम इनवेसिव तकनीक का उपयोग करते हुए एक जटिल और दुर्लभ मस्तिष्क रोग — मेनिन्जोइंसेफैलोसील — का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है। एंडोस्कोपिक ट्रांसनेजल तकनीक से की गई इस सर्जरी ने अस्पताल की उन्नत सुपर स्पेशलिटी सेवाओं को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
यह जटिल सर्जरी नाक कान गला विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सचिन जैन के नेतृत्व में और न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. सत्यदेव पाण्डेय के सहयोग से संपन्न हुई। टीम में नाक कान गला विभाग से डॉ. राम सिया सिंह, डॉ. शिवेंद्र सिंह, डॉ. संकल्प केसरी, डॉ. आनंद प्रकाश, तथा न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. यतेन्द्र शुक्ला शामिल रहे। निश्चेतना (एनेस्थीसिया) विभाग से डॉ. मुक्तेश सिंह ने सहयोग प्रदान किया।
कौशांबी निवासी 10 वर्षीय बालिका पिछले दो वर्षों से मेनिन्जोएंसेफालोसील से पीड़ित थी, जिसमें मस्तिष्क और उसकी झिल्लियां नाक के रास्ते बाहर आ जाती हैं।
कई अस्पतालों के द्वारा उसे एसजीपीजीआई और एम्स जैसे संस्थानों के लिए रेफर कर दिया गया था। अंततः स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में इलाज के लिए उसके परिजनों के द्वारा भर्ती कराया गया।
“यह सर्जरी नाक के रास्ते एंडोस्कोप के माध्यम से की गई, जिससे खोपड़ी को खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ी। मरीज को सफलतापूर्वक ठीक कर दिया गया और अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है,” प्रोफेसर डॉ. सचिन जैन ने बताया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक पिट्यूटरी ट्यूमर और सीएसएफ राइनोरिया जैसी खोपड़ी के आधार (स्कल बेस) से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
डॉ.सत्यदेव पाण्डेय ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विभागों के बीच बढ़ते समन्वय और सरकारी अस्पताल में उन्नत चिकित्सा सेवा की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
इस सर्जरी से यह साबित होता है कि न्यूनतम जोखिम, कम जटिलता और छोटे अस्पताल प्रवास के साथ अत्याधुनिक उपचार अब सामान्य मरीजों के लिए भी सुलभ हो रहा है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, निकट भविष्य में स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल को स्कल बेस और एंडोस्कोपिक सर्जरी का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं।